लाइब्रेरी में जोड़ें

हिंदी दिवस की कविताएं


कविता--ग्रीष्म ऋतु

अलहदा सूरज ना जाने क्यों तपिश हो गया
 अंगारों की बरसात आसमान से करने लगा

 अंगारों का मौसम बड़ा सताता
 फिर भी गर्मी अपना प्यार लुटाता 

कुल्हड़ों में जमीं आइसक्रीम याद आता
 जब कुल्फीवाला हमारी गली से जाता

 पेड़ों पर रस्सियों के झूले
 बागों में कच्चे आमों पर चलते ढेले 

कच्चे आम की चटनियां बनाते
 मिर्च मसालों के संग खाते

नहीं भूल पाएगा युग कभी भी 
ग्रीष्म ऋतु की यह पहचान कभी भी।

**
सीमा..✍️🌷
©®
#लेखनी हिंदी दिवस प्रतियोगिता

   28
8 Comments

ओये होए,,,, कच्चे आमों पर चलते ढेले,,, क्या बात जी,,, बचपन याद आ गया

Reply

Swati chourasia

20-Sep-2022 08:00 PM

बहुत खूब 👌

Reply

Kavita Jha

18-Sep-2022 08:49 AM

बचपन की यादें ताजा करती शानदार कविता लिखी आपने सीमा जी 😊

Reply